"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
दुआएं हर जगह पहुँचती रहें, हर उस जगह जहां इसकी ज़रूरत हो... :)
achhi kavita
अच्छा कविता के लिए धन्यवाद।.join my blogwww.yuvaam.blogspot.com
उसी शून्य में तो सब व्याप है दी ..कुछ तुम्हारा कुछ मेरा मिलकर सब हमारा हो जाता है बहकर ।
दुआएं हर जगह पहुँचती रहें, हर उस जगह जहां इसकी ज़रूरत हो... :)
जवाब देंहटाएंachhi kavita
जवाब देंहटाएंअच्छा कविता के लिए धन्यवाद।
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उसी शून्य में तो सब व्याप है दी ..कुछ तुम्हारा कुछ मेरा मिलकर सब हमारा हो जाता है बहकर ।
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