रविवार, 15 अप्रैल 2012

मृदुल उपहार ......


आक्षेपों और आक्रोश
सहते-सहते व्यथित
क्लांत मन ,दृढमना
बनने की चाह में एक
अकेला कोना तलाश
कुण्डलिनी जगाता ,
बिचारी दूर्वा सा ,पुन:
शीश उठा उन्मत्त हो
तत्परता से विपरीत
धारा में बहने चला ....
किरच रहित दीखते
तानों-बानों में ,मन की 
रपटीली सी चट्टान
टिकाने चला ......
निर्दोष दिखती सतह से
मुलाक़ात की सजा सा ,
चिटकी हुई चट्टान की
विडम्बना ढ़ोने को मन
विवश हुआ .............
थका मन ,पीड़ा सहलाने की
चाह लिए ,कीचड़ को
निरख उठा ....
कभी कीचड़ के दाग से
डरा मन ,कमल को भी
अनदेखा करता रहा
व्यथित मन आज भी
कमल तो न पा सका
पर बिलकुल अनपाया भी न रहा
कीचड़ ने अपनी गरिमा नहीं खोयी
चिटकी हुई चट्टान को
सेवार की कोमलता का
मृदुल उपहार दिया ..........
                -निवेदिता 

16 टिप्‍पणियां:

  1. कभी कीचड़ के दाग से
    डरा मन ,कमल को भी
    अनदेखा करता रहा
    व्यथित मन आज भी
    कमल तो न पा सका
    पर बिलकुल अनपाया भी न रहा ..

    दो देता है वो हमेशा ही देता है कीचड़ जो दे सकता है वो देने में नहीं घबराता ... आखिरकार कमल भी तो कीचड़ ही देता है ...

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  2. bahut, bahut, bahut hi badhiya....dil ki gahraai se nikli baat dil tak pahunch gayi....sarthak rachna...

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  3. शब्दांकन और तस्वीर दोनों ही बहुत अच्छी लगीं ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  4. बहुत सुन्दर...भावों और शब्दों का लाज़वाब संयोजन ....

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  5. आक्षेपों और आक्रोश
    सहते-सहते व्यथित
    क्लांत मन ,दृढमना
    बनने की चाह में एक
    अकेला कोना तलाश
    कुण्डलिनी जगाता ,

    बहुत सुंदर शब्दांकन और रचना...बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई... निवेदिता जी,..
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  6. बहुत सुंदर शब्दों का संयोजन बधाई

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  7. कीचड़ में मन कमल सदृश हो तो इससे बढ़कर और क्या बड़ी बात होगी?

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  8. पर बिलकुल अनपाया भी न रहा
    कीचड़ ने अपनी गरिमा नहीं खोयी
    चिटकी हुई चट्टान को
    सेवार की कोमलता का
    मृदुल उपहार दिया ..........


    वाह ...बहुत खूबसूरत

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  9. बड़े सरल शब्दों में व्यक्त मन की उथल पुथल..

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  10. क्या चित्रांकन है... लफ्ज लफ्ज बोलते हैं...
    सादर बधाई।

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  11. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....

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  12. बहुत ही सुन्दर लगी ये पोस्ट शानदार।

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  13. उत्कृष्ट एवं प्रभावशाली रचना.... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/

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  14. बेहतरीन भाव संयोजन ...बहुत उम्दा रचना

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  15. बताइये भला कीचड़ तक में इतना कर्तव्यबोध है कि अपना काम करता रहता है। बहुत खूब!

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