अपने सपने कभी भी
आँखों में न बसाये रखना
बाँध टूटेंगे जब पलकों के
अँसुवन संग बहते हुए
समय की भँवर में
अटकते - भटकते
ना पा सकेंगे कोई ओर - छोर !
सपने तो बस सजा लेना
अपने दिल की अबूझ सी
अतल गराइयों में
हर पल की मासूम सी
धड़कती संवेदनाएं
उनमें भर देंगी
अलबेले रंगों की अनथकी उड़ान ! ..... निवेदिता