गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

बस एक भटका हुआ ख़याल ......

अपने सपने कभी भी 
आँखों में न बसाये रखना 
बाँध टूटेंगे जब पलकों के 
अँसुवन संग बहते हुए 
समय की भँवर में 
अटकते - भटकते 
ना पा सकेंगे कोई ओर - छोर !

सपने तो बस सजा लेना 
अपने दिल की अबूझ सी 
अतल गराइयों में 
हर पल की मासूम सी 
धड़कती संवेदनाएं 
उनमें भर देंगी 
अलबेले रंगों की अनथकी उड़ान ! ..... निवेदिता