बुधवार, 13 अप्रैल 2022

करती हूँ अन्तिम प्रणाम!

 आ गयी जीवन की शाम

करती हूँ अन्तिम प्रणाम!

रवि शशि की बरसातें हैं
अनसुनी बची कई बातें हैं
प्रसून प्रमुदित हो हँसता
भृमर गुंजन कर कहता
किस ने लगाए हैं इल्जाम
करती हूँ अन्तिम प्रणाम!

कुछ हम कहते औ सुनते
बीते पल की थीं सौगाते
प्रणय की नही अब ये रजनी
छुड़ा हाथ चल पड़ी है सजनी
समय के सब ही हैं ग़ुलाम
करती हूँ अन्तिम प्रणाम!

जाती हूँ अब छोड़ धरा को
माटी की दी बाती जरा वो
जर्जर हो गयी है अब काया
मन किस का किस ने भरमाया
तन के पिंजरे का क्या काम
करती हूँ अन्तिम प्रणाम!
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4400 में दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  2. अंतिम क्षणों में इतना होश बना रहे तो जीवन सफल हो गया समझना चाहिए

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