सिरहाने धरी हथेली की
लकीरों में छुप के बैठे हुए !
पूरनम रेशों की तासीर में
कुछ अल्फ़ाज़ थे गुंथे हुए !
कहीं कुछ दम है घुटता सा
जैसे हो कोई साँसें रोके हुए !
पलकों ने नयन को है यूँ छुआ
चाँदनी खिली चंदोवा सँवारे हुए !
सामने रख दूँ जो खिली हथेली
गुल नजर आएंगे महकते हुए ! #निवी
जवाब देंहटाएंसामने रख दूँ जो खिली हथेली
गुल नजर आएंगे महकते हुए !..वाह !!
बहुत सुंदर अहसास । बेहतरीन अभिव्यक्ति 👌👌