गुरुवार, 21 मार्च 2019

रंग तो प्रिय ....

नीला -काला -बैगनी,
रंग न ये तुम लगाना ,
ये तो सारे अंधियारा लाते !
लाल-गुलाबी-हरा औ पीला
ये ही सब मनभाते हैं
सबके  शगुन बन
खुशियाँ फैला जाते हैं
लाल चुनरिया ,
गुलाबी गात
हरी है चूड़ी,
पीला रंग शगुन 
बन लहरा जाता
रंग तो प्रिय वही लगाना
तुम देखो ,मैं समझूं
मैं निरखूं तुम परखो
रंग तो प्रिय ........
             -निवेदिता-

9 टिप्‍पणियां:

  1. रंग सारे मिल कर सफेद बन जाते हैंं
    काला बैंगनी भी उस में समा जाते हैं

    सुन्दर रचना।

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