रविवार, 2 अगस्त 2015

ये रिश्ता , दोस्ती का ....

ये रिश्ता
दोस्ती का
ये एहसास
दोस्ती का
जो …
उदासी के पलों में
स्मित बरसा दे
मुस्कान के पलों में
खिलखिलाहट बिखरा दे
ऐसे दोस्त की दोस्ती
अबोली अनबूझी सी
बस सहेज ली हमने
और भी कुछ साँसे
जीवंत से जीवन की
मन भर जी लीं हमने …… निवेदिता

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.....
    दामन भरा रहे खुशियों से....दोस्तों और दोस्ती के सुख से भलभालाती रहे जीवन नदिया :-)
    <3
    अनु

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  2. बस सहेजे रहिए ऐसी दोस्ती...और हमेशा खिलखिलाती रहिए...:*
    <3

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  4. हमने देखें हैं रिश्ते दोस्ती के भी ...... :)
    कुछ न कहेंगे !!

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