प्यार ! कैसा है ये प्यार
क्या जरूरी है इसके लिए
सोलह साल का अल्हड़पन
आती - जाती ऋतुओं से
थामना बसंती पुरवाई को
झिझकती ठिठकती तिथियाँ
चुन लेना बस एक तिथि को
कभी शमा रौशन करना
कभी नम सी साँसें और ..
प्यार ! इसको नहीं चाहिए
न कोई दिन , नही कोई लम्हा
नहीं रखता ख़्वाबों में भी तन्हा
इसके लिए चाहिए सिर्फ
धड़कनों में आती जाती बस
चंद साँसें .........
-निवेदिता
प्रेम को शब्द देना कहाँ सरल है..... सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंएकदम सही बात!
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक भी ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ...
सच में प्यार किसी विशेष उम्र, ऋतु या तिथी का मोहताज नहीं है । सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसटीक बात ।
जवाब देंहटाएंप्यार तो प्यार है इसे कोई नाम ना दो :)
जवाब देंहटाएंबसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंदिनांक 16 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत .... शुभकामनाएं !
हटाएंप्यार दिवाना होता है मस्ताना होता....है, हर खुशी से हर ग़म से बेगाना होता है ....:)
जवाब देंहटाएंpyaar ka koi din samy nahi hota..sundar prastuti..
जवाब देंहटाएंhttp://kahanikahani27.blogspot.in/
sunder rachna .
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएं:-)
शुक्रिया आपका !!!
जवाब देंहटाएंप्यार करना, प्यार निभाना और प्यार को संजोना अपने आप में के बहुत प्यारी बात है | आपकी रचना पढ़कर अच्छा लगा | आभार |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
pyar rachna,pyar se paripuran
जवाब देंहटाएंhttp://guzarish6688.blogspot.in/
अच्छी रचना , सुंदर
जवाब देंहटाएंVery beautiful!
जवाब देंहटाएंप्रेम में आँख बन्द कर जगत भूल जाने के बाद तो सब ईश्वरीय ही तो हो जाता है।
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