मंगलवार, 24 मार्च 2020

लघुकथा : हेल्प


लघुकथा : हेल्प

हाँ ! बताओ क्या करना है ।आज कोई मीटिंग नहीं ,ऑफिस भी नहीं ... क्या हेल्प करूँ ... चाय बनाऊँ इलायची डाल कर ... 🤔😀 ( बन्दा पूरे जोश ओ खरोश में )

हेल्प ... छोड़ो तुम रेस्ट करो ... चाय के साथ क्या लोगे ... ( घर मे दिख जाने का एहसान मानती बन्दी )

नहीं ... आज तुम रेस्ट करो ,मैं बनाता न ... ( बन्दा  एकदम टॉप ऑफ वर्ल्ड टाइप महसूस करते )

ऐसा क्या .... अच्छा ऐसा करो चाय के साथ पनीर के पकौड़े बना लेना और डिनर में एक ही सब्जी कोफ्ते बना लो साथ मे जीरा राइस ... और हाँ रोटी नहीं पूरियाँ बनाना ... डेज़र्ट चलो बाजार से रबड़ी ले आना और हाँ कॉर्नेटो भी लेते आना ... चलो तबतक मैं कुछ रिकॉर्ड कर लेती हूँ इधर बहुत दिनों से अपने चैनल पर कुछ शेयर नहीं किया !
                                       ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

सोमवार, 23 मार्च 2020

लघुकथा : नारायण अस्त्र

नारायण अस्त्र : लघुकथा

दादी और उनका पोता विहान दोनों ही बार - बार खिड़की से झाँक कर बाहर देखते ,फिर झुंझला कर वापस बैठ जाते। आखिर वो करें भी क्या इस लॉकडाउन में अनुभा ने उन दोनों को बाहर निकलने से रोक जो रखा है । सच्ची डर भी तो है कि इस महामारी के इंफेक्शन का !

अनुभा भी उन दोनों की उलझन देख रही थी । अचानक ही वह उठ कर रसोई में चली गयी और चटपटे पकौड़ों की प्लेट थामे उनके पास आ गयी ,"क्या हो गया आप लोग बोर हो रहे हो ... अच्छा ऐसा करते हैं दादी माँ नारायण अस्त्र की कहानी सुनाइये हमसब को ।"

छुटकू विहान किलक उठा कहानी के नाम से और दादी माँ भी व्यस्त होने के सुकून में कहानी के साथ बह चलीं ,"पिता द्रोण के धोखे से मारे जाने से क्रोधित  अश्वत्थामा ने पाण्डव सेना पर नारायण अस्त्र से प्रहार कर दिया जिसका कोई प्रतिकार कर ही नहीं पा रहा था । ये देख कृष्ण ने सबको उस का प्रतिकार करने से रोक दिया और उस दैवीय अस्त्र के शान्त होने की प्रतीक्षा शान्त भाव से करने को कहा । विरोध न पा कर अस्त्र भी शान्त हो गया और सब सुरक्षित हो गये ।"

"अरे वाह दादी माँ ! ये तरीका तो बहुत अच्छा है बचाव का ",विहान दादी माँ के गले में झूल गया ।

अनुभा मुस्कुरा पड़ी ,"जानते हो विहान हम सब भी अगर ऐसे ही शान्त भाव से घरों में रहें ,तो इस महामारी के बैक्टीरिया फैल ही नहीं पाएंगे और धीरे - धीरे खतम हो जायेंगे । तब तक हमारे वैज्ञानिक भी इसकी प्रतिरोधक दवाइयां खोज लेंगे ,फिर हम सब सुरक्षित रहेंगे । बस तब तक हम सब को घर में रह कर खुद को ही प्रतिरोधक दवा बनना है । "
                 ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

शनिवार, 21 मार्च 2020

विनम्र अनुरोध 💐💐

विनम्र अनुरोध भक्त ,कमभक्त और कमबख्त नीयत वालों से 💐💐

कल 22 मार्च 2020 ,रविवार को आप ये देखने भी न निकले कि कितने लोग निकले कितने नही । जो दिनचर्या अभी तक के रविवार (अवकाश के दिनों में ) को अपनाते थे और अपने में ही मस्त रहते थे ,घर पर रहते थे ... बस वही कल भी कीजियेगा ।

शँख ,घण्टी ,ताली ,थाली जिसको जो भी उचित लगे अवश्य बजायें ,बिना किसी की परवाह किये हुए । यदि आपको संकोच लगे तब अपनी दादी - नानी की बातों को याद कर लीजियेगा कि पहले जब शिशु का जन्म होता था तब घर के बुजुर्ग थाली ,परात ,थाल बजाते थे ... और इतना बजाते थे कि कभी कभी वह पात्र टूट जाता या टेढ़ा हो जाता था । घर पर बधाई ( बधावा ) के सामान ले कर बुआ ,मामा या अन्य रिश्तेदार भी ऐसे ही आते थे । बैण्ड वगैरा का प्रचलन तो बहुत बाद में हुआ । हम सब इस समय अपने एकमत होने की खुशी और अनिवार्य सेवाओं के सजग प्रहरियों के सम्मान में सकारात्मक ध्वनि ऊर्जा प्रवाहित करेंगे ।

सतर्क रहिये और विरोध के स्थान पर आत्ममंथन अवश्य कीजिये ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

मंज़िल मिल जाएगी ....

कैसे कह दूँ कि मैं परेशान नहीं हूँ
बिखरी सी राहों में पशेमान नहीं हूँ
उखड़ी सी साँसों से साँस भरती है
हाथों को नज़रों से थाम कहती है
जानेजां कर तू परस्तिश हौसलों की
इन्हीं राहों में हम फिर मिल चलेंगे
ज़िंदगी जिंदादिल वापस मुस्करायेगी
अपने होने का यूँ एहसास कराएगी
लरज़ते कदमों से ही तू चल तो सही
कह रही 'निवी' मंज़िल मिल जाएगी
      .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

जनता कर्फ्यू ....

जनता कर्फ्यू ....

कल से जनता कर्फ्यू के पक्ष - प्रतिपक्ष में बहुत सारी बातें सुन और पढ़ रही हूँ ...

बहुत सी बातों और उनके कहे जाने के तरीके से सर्वथा असहमत होते हुए भी मैं ख़ामोश ही रह गई । परन्तु इस पूरी चर्चा ( ? ) में जनता कर्फ्यू का विरोध भी पढ़ा और कम समय के लिये इसको लगाया जाना भी पढ़ा ,तब लगा कि हर समय की ख़ामोशी भी गलत है ।

जनता कर्फ्यू सिर्फ 7 बजे से 9 बजे तक घोषित है ,परन्तु थोड़ा सा भी विचार कीजियेगा तब आपको खुद ही समझ आ जायेगा कि यह शनिवार की रात लगभग 10 / 11 बजे ( सामान्यतः तब तक सभी अपने अपने घरों में वापस आ जाते हैं ) से ले कर सोमवार की सुबह लगभग 7 बजे तक ( सामान्यतः अधिकतर लोग अपने अपने कार्यक्षेत्र के लिए तभी घरों से निकलते हैं ) तब तक बिना कुछ कहे ही प्रभावी हो जाएगा । यदि इसीको बोलकर किया जाए तो दहशत के माहौल में और भी वृध्दि हो जाएगी ।

राजनीति से परे हो कर भी सोचें तो कल का प्रधानमंत्री मोदी जी का उदबोधन परिवार के मुखिया जैसा ही था ,जिसमें बिना किसी को दहशत में लाये समस्या से सभी परिवारी जनों को सुरक्षित रखना ही है ।

अभी सिर्फ विरोध के लिये विरोध करने की मानसिकता से ऊपर उठने और सब का साथ देने का समय है ।

सबका साथ दें ,सुरक्षित रहें और रखें .... क्योंकि विरोध करने के लिये दोनों का होना आवश्यक है आप का भी और जिसका आप विरोध करते हों उसका भी ।
                                   .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

शनिवार, 14 मार्च 2020

गीत : सवेरे - सवेरे .…

सफ़र लम्बा सही चल पड़ो सवेरे - सवेरे
मिल ही जाएगा मुक़ाम सवेरे - सवेरे

मन व्यथित हुआ तन शमित भी हुआ
किसी ने नश्तर चुभोये सवेरे - सवेरे

पाँव के आबलों ने रोक रखी जो राह
क़दम भी लड़खड़ा गये सवेरे - सवेरे

प्रसून यूँ प्रमुदित हुए पात भी झर चले
दरख़्त ये भी ढ़ह जायेगा सवेरे - सवेरे

हँस के मिला करो मिल के हँसाया करो
उड़ जायेगा पंछी इक रोज सवेरे - सवेरे

डगर मुश्किल सही सफ़र तन्हा सही
निवी मुक़ाम पर है खड़ी सवेरे - सवेरे
            ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

रविवार, 8 मार्च 2020

होली गीत : ए सखी आयो कन्हाई री ...


होली गीत

ए सखी आयो कन्हाई री ...

उड़त अबीर गुलाल
रंग भयो रतनार
पकड़ लयी कलाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ....

बाजे झाल मृदंग
थिरक थिरक जाए अंग
झूम उठे अमराई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...

भूल गए राग द्वेष
मिट चले सारे क्लेश
झूमे चंहु ओर पुरवाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...

चले प्रियतम संग
छलके मन मे रंग
चुनर लहर लहर उड़ जाई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...

मन में छाए उमंग है
तन में बसे अनंग है
फागुन करे जबराई री
ए सखी आयो कन्हाई री ...
                ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

रविवार, 1 मार्च 2020

सफ़र ज़िन्दगी का .....



गुनगुनाती रही रात भर मैं गज़ल।
साथ तुम भी कभी गुनगुनाया करो।।

मुस्कराते रहे चश्मे नम शब भर
हो सके कभी सच भी बताया करो

सारे' सपने सच खिल ही जायें'गे
सच कभी बन तुम जगमगाया करो

सच कहो साथ कभी  इतना दुश्वार नहीं
भाव जो मन बसे ना छुपाया करो

सफ़र ज़िन्दगी का है मुश्किल मगर
दो कदम साथ 'निवी'  निभाया करो
         .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'