विनम्र अनुरोध भक्त ,कमभक्त और कमबख्त नीयत वालों से 💐💐
कल 22 मार्च 2020 ,रविवार को आप ये देखने भी न निकले कि कितने लोग निकले कितने नही । जो दिनचर्या अभी तक के रविवार (अवकाश के दिनों में ) को अपनाते थे और अपने में ही मस्त रहते थे ,घर पर रहते थे ... बस वही कल भी कीजियेगा ।
शँख ,घण्टी ,ताली ,थाली जिसको जो भी उचित लगे अवश्य बजायें ,बिना किसी की परवाह किये हुए । यदि आपको संकोच लगे तब अपनी दादी - नानी की बातों को याद कर लीजियेगा कि पहले जब शिशु का जन्म होता था तब घर के बुजुर्ग थाली ,परात ,थाल बजाते थे ... और इतना बजाते थे कि कभी कभी वह पात्र टूट जाता या टेढ़ा हो जाता था । घर पर बधाई ( बधावा ) के सामान ले कर बुआ ,मामा या अन्य रिश्तेदार भी ऐसे ही आते थे । बैण्ड वगैरा का प्रचलन तो बहुत बाद में हुआ । हम सब इस समय अपने एकमत होने की खुशी और अनिवार्य सेवाओं के सजग प्रहरियों के सम्मान में सकारात्मक ध्वनि ऊर्जा प्रवाहित करेंगे ।
सतर्क रहिये और विरोध के स्थान पर आत्ममंथन अवश्य कीजिये ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
कल 22 मार्च 2020 ,रविवार को आप ये देखने भी न निकले कि कितने लोग निकले कितने नही । जो दिनचर्या अभी तक के रविवार (अवकाश के दिनों में ) को अपनाते थे और अपने में ही मस्त रहते थे ,घर पर रहते थे ... बस वही कल भी कीजियेगा ।
शँख ,घण्टी ,ताली ,थाली जिसको जो भी उचित लगे अवश्य बजायें ,बिना किसी की परवाह किये हुए । यदि आपको संकोच लगे तब अपनी दादी - नानी की बातों को याद कर लीजियेगा कि पहले जब शिशु का जन्म होता था तब घर के बुजुर्ग थाली ,परात ,थाल बजाते थे ... और इतना बजाते थे कि कभी कभी वह पात्र टूट जाता या टेढ़ा हो जाता था । घर पर बधाई ( बधावा ) के सामान ले कर बुआ ,मामा या अन्य रिश्तेदार भी ऐसे ही आते थे । बैण्ड वगैरा का प्रचलन तो बहुत बाद में हुआ । हम सब इस समय अपने एकमत होने की खुशी और अनिवार्य सेवाओं के सजग प्रहरियों के सम्मान में सकारात्मक ध्वनि ऊर्जा प्रवाहित करेंगे ।
सतर्क रहिये और विरोध के स्थान पर आत्ममंथन अवश्य कीजिये ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 21 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी अवश्य। मंथन जारी है।
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक संदेश ,सादर नमस्कार आपको
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