"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
सोमवार, 8 सितंबर 2014
एक अकेला दिल
भूले से भी कोई जान जाये दिल में किसी के क्या - क्या छुपा है इसके बेनकाब होते ही न जाने कितने गुमनाम फसाद हो जाते शायद इसीलिये खुदा ने दिल तो बस एक अकेला ही बनाया राज़ खुलने से पहले ही बस उसकी धड़कने रोक देता है ....... निवेदिता !
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंशब्द-शब्द सुन्दर...!
जवाब देंहटाएंबहुत-2 आभार !
अनुपम भावों का संगम ....
जवाब देंहटाएंखुदा जानता है उसे क्या करना है ...
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही ...कितने ही फसादों से बचा लिया उसने
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंah..Beautifiul...
जवाब देंहटाएंओहो............ सही है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बात कही।
जवाब देंहटाएंऔर राज़ कई ... इसमे छुपाने को ..
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