बिखरे लम्हों के हर मोती चुन लायेंगे
लरजती साँसों के धागे से माला बनायेंगे
थकना तो सिर्फ कुछ लम्हों की सौगात है
ऐ ज़िंदगी तुझको क्या जीना सिखायें हम
यादों के दिये में आशा के दीप जलायेंगे हम
कहती #निवी बिखरे ज़िंदगी जितना चाहे
प्यार की आस से इसको जी के दिखायेंगे
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
वाह क्या खूब लिखा है आपने। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (04-11-2020) को "चाँद ! तुम सो रहे हो ? " (चर्चा अंक- 3875) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
-- सुहागिनों के पर्व करवाचौथ की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत सुन्दर
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