ज़िन्दगी तू इतनी ग़मज़दा सी क्यों है ,
आ ये चुराये लम्हात तुझ पर वार दूँ ।
तबस्सुम जो सजे तेरे मासूम लबों पर ,
चुभते वक़्त पे यादों का मरहम लगा दूँ ।
तेरे साथ की फाकाकशी करते ये लम्हे ,
दिलकश सितारों से तुझ को सजा दूँ ।
वो आफ़ताब आग बरसाता है हर सू ,
आ अपने इस हसीं महताब से मिला दूँ ।
मेरे ख़यालों की भटकती रूह सी 'निवी' ,
आ तेरे ख़्वाबों की ख्वाहिशों से मिला दूँ ।
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
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