" एकांत और अकेलापन "
एक सी लगती
बातें हो या राहें
कितनी अलग
सी हो जाती हैं
एकांत कह लो
या अकेलापन
एक से लगते
पर सच हैं ये
सर्वथा भिन्न
एक चाहत है
दूजा त्रासदी ...
एक रखता
सृजन क्षमता
दूजे के पास
भरी विरक्ति ...
एक की चाहत में
बंद किये झरोखे
दूजे से मुक्ति की
आस लगाये
टटोली कन्दराएँ !
-निवेदिता
सच है....
जवाब देंहटाएंएकांत मनचाहा और अकेलापन अनचाहा जो होता है....
सस्नेह
अनु
सत्य कहती सुंदर अभिव्यक्ति ........
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें.
sundar rachnaa
जवाब देंहटाएंएक की चाहत में
जवाब देंहटाएंबंद किये झरोखे
दूजे से मुक्ति की
आस लगाये
टटोली कन्दराएँ !
बहुत खूब ... सच के साथ - साथ चलती हुई ये पंक्तियां भी
बहुत ही सुन्दर...दी!
जवाब देंहटाएंअच्छा है!
जवाब देंहटाएंक्या अच्छा है एकांत या अकेलापन ...:)
हटाएंएकांत और अकेलेपन का चित्राण!
हटाएंशब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
जवाब देंहटाएंwah kya tulna hai.
जवाब देंहटाएंएकांत सृजनात्मक हो सकता है ..... लेकिन अकेलापन ? इंसान को तोड़ देता है .... सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंएक की चाहत में
जवाब देंहटाएंबंद किये झरोखे
दूजे से मुक्ति की
आस लगाये
टटोली कन्दराएँ !
sach me shabd bol rahe....:)
shabd shabd dil me bas gaya.....ati uttam
जवाब देंहटाएंएक अनकही कहानी अकेलेपन की ......बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअपने से अपने को समझा..
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 06-12 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं....
सफ़ेद चादर ..... डर मत मन ... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप
. .
कुछ गुप्त गुम्फित से भाव -टटोली कंदराओं से अनावृत होते :-)
जवाब देंहटाएंवाह! बड़ी खूबसूरती से आपने अंतर परिभाषित किया है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
sundar rachna , kashmkash bekhoobi ukera hai
जवाब देंहटाएंbahut sarthak antar kiya hai dono may
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है।
जवाब देंहटाएंसच है सार्थक एवं सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
निवेदिता जी !
एक चाहत है
दूजा त्रासदी ...
एक रखता
सृजन क्षमता
दूजे के पास
भरी विरक्ति ...
एकांत और अकेलेपन का बेहतरीन चित्रण !
कमाल की संवेदनशीलता !
वाऽह !
शुभकामनाओं सहित…
Serene
जवाब देंहटाएंसच है की दोनों में भाव अलग है ... कारण अलग है ...
जवाब देंहटाएंइसलिए सृजन भी अलग होता है ऐसे पलों का ...