झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

काश_अब_भी_तुम_साथ_मेरे_होते !

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 #काश_अब_भी_तुम_साथ_मेरे_होते ! तप्त हुआ मरुथल है जलता  रुक्ष हुआ इक सागर है बहता   क्या बात करूँ उन बातों की  जिनमें तेरा हर अक्स है सजता !...
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