झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

रविवार, 24 मई 2020

मन कहता है ...

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मन कहता है तू मुझको लिख  सब खुद ही बन जायेगा !    बिखर गया घर था वो प्यारा पवन उड़ाती सब आये ! चाक चले जब गीली मिट्टी  लेती ज्यूँ आक...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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