झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

बुधवार, 21 नवंबर 2018

लघुकथा : नजरिया

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लघुकथा : नजरिया चौपाल पर सब बतरस का आनन्द उठाते हर विषय पर कुछ न कुछ बोल रहे थे । चर्चा स्वच्छता अभियान पर भी चल निकली । एक व्यक्त...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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