लघुकथा : नजरिया
चौपाल पर सब बतरस का आनन्द उठाते हर विषय पर कुछ न कुछ बोल रहे थे । चर्चा स्वच्छता अभियान पर भी चल निकली ।
एक व्यक्ति ने आसपास फैली गंदगी देखते हुए कहा ,"देखो कितनी गन्द मची है ।ये बन्दर भी टहनियाँ तोड़ कर डाल गए । चलो शाम को ठेला लाकर मैं सब साफ कर दूंगा ।"
तभी अचानक से ही पड़ोसी काकी उठी और उन्होंने कुछ डालियों को वहीं पड़ी हुई घास की डोरी सी बनाकर बांध कर झाड़ू बना लिया और सारा कूड़ा इकट्ठा करने लगीं ,और कहा ,"सफाई तभी रह सकती है ,जब कूड़ा तुरन्त हटाया जाए ।"
..… निवेदिता
..… निवेदिता
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन एहसासों के दीप जलाना, अच्छा है पर कभी-कभी - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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