झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

अमावस की रात .......

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अमावस की रात इतनी बेनूर सी सिसकी है चाहत तो उसको भी थी खिलखिलाहट की टिमटिमाते से सितारों  बगावत कर गये कल आने का वादा कर दामन समेट ग...
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