"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
अंधकार को सटीक अभिव्यक्ति दी आपने, बहुत ही सुंदर, शुभकामनाएं.रामराम#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आभार आपका .......
मन का अन्धकार अमावस जैसा ही स्याह होता है
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "कौन सी बिरयानी !!??" - ब्लॉग बुलेटिन , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
मन के अंधेरे की अमावस की रात से बहुत ही बढ़िया तुलना।
बहुत बढ़िया
bahut badiya ...
अंधकार को सटीक अभिव्यक्ति दी आपने, बहुत ही सुंदर, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आभार आपका .......
हटाएंमन का अन्धकार अमावस जैसा ही स्याह होता है
जवाब देंहटाएंआभार आपका .......
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "कौन सी बिरयानी !!??" - ब्लॉग बुलेटिन , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार आपका .......
हटाएंमन के अंधेरे की अमावस की रात से बहुत ही बढ़िया तुलना।
जवाब देंहटाएंआभार आपका .......
हटाएंआभार आपका .......
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंbahut badiya ...
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