झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

बुधवार, 25 जनवरी 2017

न हो उदास ऐ सनम ........

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न हो उदास ऐ सनम  तेरी उदासी में  मेरे मन में बसी खामोश ओस ढलती है  तेरे लबों की  हल्की सी थिरकन मेरी यादों की घनी धुंध में सूर्य किरण स...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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