झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

मंगलवार, 27 नवंबर 2012

ये ज़िन्दगी ......

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ये ज़िन्दगी शुक्रगुजार है अब तक आती जाती हर इक सहमी और खिली खिली श्वांस लेती हर श्वांस की ! ये ज़िन्दगी कर्ज़दार  है उन दुला...
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