सज धज कर के सारे श्रृंगार
छत पर गोरी आ जाना।
ओढ़ चुनरिया लाल रंग की
प्रीतम को तू भा जाना।
मेहंदी की लाली हाथों में
प्रीत रस हो बातों में
धूप दीप अगरु अरु मीठा
करवे का थाल सजा लाना
धीमे धीमे कदमों से आ
पायल तू खनका जाना
सज धज कर ...
चन्दा छुप छुप जाए बदली में
शाखों पत्तों की अंजुली के
मन्द मदिर जब पवन चले
अम्बर आनन हँस गयी टिकुली
जलधार देते चन्दा को
चूड़ी कंगन खनका जाना
सज धज कर ...
निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ
"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
करवाचौथ पर सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण हृदय स्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंiokqvppb
जवाब देंहटाएंcialis 5 mg satın al
cialis 20 mg
sight care
kamagra jel
glucotrust
viagra satın al
https://shop.blognokta.com/urunler/ereksiyon-haplari/cialis/cialis-100-mg-30-tablet-eczaneden-etkili-ereksiyon-saglayici-ilac/