सोमवार, 7 दिसंबर 2015

कोई ख्वाब .....



रूह में पैबस्त
जब कहीं  ....
कोई ख्वाब होता है
हज़ार ख्वाहिशों सी
सरगोशियों में
फलक तक
धड़कती सी
आरजुओं  का
इक बायस होता है ! .... - निवेदिता

2 टिप्‍पणियां: