अभी कुछ दिनों पहले ही हमारे सखी सम्मिलन में आरती करने की पूरी प्रक्रिया पता चली ,जो निम्नवत है ........
हम जिस भी देवता की पूजा करते है हम पूजन के सम्पूर्ण होने के प्रतीक सवरूप उस देवता की आरती भी करते हैं । हर देवता के बीज मंत्र भी भिन्न होते हैं जिनके द्वारा हम उनकी पूजा करते हैं । ऐसी मान्यता है की बीज मंत्र को स्नान थाल ,घंटी और जल पात्र पर चंदन अथवा रोली से लिखना चाहिए । यदि बीज मंत्र न पता हो तो हम ॐ बना लेते हैं ।
हर देवता की आरती करने की संख्या भी अलग होती है । विष्णु भगवान को बारह बार आरती घुमाई जाती है । सूर्य देव को सात बार ,दुर्गा जी की नौ बार ,शंकर भगवान की ग्यारह बार ,गणेश जी की चार बार आरती घुमाई जाती है । यदि देवता की संख्या न पता हो तो सात बार भी कर दी जाती है ।
आरती करने की प्रक्रिया को भी चार भागों में बाँटा गया है । सबसे पहले चरणों की ,फिर नाभि की , तत्पश्चात मुख की और सबसे अंत में सम्पूर्ण विगृह की । आरती कर लेने के बाद उसको ठंडा भी किया जाता है ,इसके लिए शंख अथवा फूल में जल ले कर आरती के चारों तरफ घूमाया जाता है उसके बाद ही आरती ली जाती है !
आरती की थाली में सामन्यतया अक्षत ,फूल , धूप , दीप , अगरबत्ती , कर्पूर , फल ,मिष्ठान्न रखा जाता है ! -निवेदिता
वाह! क्या बात है! फिर आई दीवाली
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
प्रकाशोत्सव के महापर्व दीपादली की हार्दिक शुभकानाएँ।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंदीपावली पर्व की हादिक शुभकामनाए...!
RECENT POST -: दीप जलायें .
आप सभी को सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और मंगलकामनायें !!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन आई थोड़ी मीठी - थोड़ी खट्टी दिवाली - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
कुछ नया और अद्भुत पता चला !!
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की शुभकामनायें !!
्सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं