"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
रविवार, 22 सितंबर 2013
एक बरसात कुछ अलग सी ……
मेरे सपनों की बालकनी में आवाज़ देते तुम …… तुम्हारी यादों की बारिश में भीगती मैं ……. हमारे दरमियाँ भाप से धुंधलके का अनजानापन …… अजीब सी है ये रिश्तों की गहराती दलदल आओ डूब कर कहीं दूर मिल जायें …… -निवेदिता
आज आपकी यह कविता पढ़कर वो गीत याद आगया दी..." दोनों किसी को नज़र नहीं आयें चल दरिया में डूब जाएँ" :)इसी को तो रिश्तों की गर्माहट कहते हैं बहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति...
तुम्हारी
जवाब देंहटाएंयादों की
बारिश में
भीगती
मैं ……. बारिश में बिगती सुंदर सी रचना
डूबें...भीगें...बहें......और फिर मिल जाएँ......
जवाब देंहटाएंये virus भी कमाल का है :-)
सस्नेह
अनु
'डेंगू ज्वर' में मन हल्का करने के लिए मेरे कहने पर तुमने ' लैपटाप' उठाया और क्या 'खूब' लिख मारा |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...मेरे भी ब्लॉग पर आये
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता
क्या बात है ....ये लेखक जी टिपण्णी क्यों हटा रहे हैं बार बार ।......
जवाब देंहटाएंऔर कैसी हैं अब आप ?जल्दी ठीक होईये
क्या बात है.. बुखार में ख़याल भी गरमा रहे हैं गज़ब :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना.
बहुत ही प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर
:-)
अजीब सी है
जवाब देंहटाएंये रिश्तों की
गहराती दलदल
आओ डूब कर
कहीं दूर मिल जायें .............बेहतरीन .....शीघ्र स्वस्थ हो की कामना
मेरे
जवाब देंहटाएंसपनों की
बालकनी में
आवाज़ देते
तुम ……
तुम्हारी
यादों की
बारिश में
भीगती
मैं …….बहुत खुबसूरत कल्पना !
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बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंकविता मंच पर .... बहुत दिनों में आज मिली है साँझ अकेली :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंआज आपकी यह कविता पढ़कर वो गीत याद आगया दी..." दोनों किसी को नज़र नहीं आयें चल दरिया में डूब जाएँ" :)इसी को तो रिश्तों की गर्माहट कहते हैं बहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना :- चलो अवध का धाम
देर से पढ़ रहा हूँ, आप स्वास्थ्यलाभ शीघ्र करें।
जवाब देंहटाएंजल्दी ही स्वास्थ्य लाभ करें। ज्यादा न भीगें बारिश में।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।