रविवार, 22 सितंबर 2013

एक बरसात कुछ अलग सी ……


मेरे  
सपनों की 
बालकनी में 
आवाज़ देते 
तुम  ……

तुम्हारी 
यादों की 
बारिश में 
भीगती 
मैं  ……. 

हमारे 
दरमियाँ 
भाप से 
धुंधलके का 
अनजानापन  ……

अजीब सी है 
ये रिश्तों की 
गहराती दलदल 
आओ डूब कर 
कहीं दूर मिल जायें …… 
                            -निवेदिता 

16 टिप्‍पणियां:

  1. तुम्हारी
    यादों की
    बारिश में
    भीगती
    मैं ……. बारिश में बिगती सुंदर सी रचना

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  2. डूबें...भीगें...बहें......और फिर मिल जाएँ......

    ये virus भी कमाल का है :-)

    सस्नेह
    अनु

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  3. 'डेंगू ज्वर' में मन हल्का करने के लिए मेरे कहने पर तुमने ' लैपटाप' उठाया और क्या 'खूब' लिख मारा |

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  4. बहुत सुंदर ...मेरे भी ब्लॉग पर आये
    प्यारी कविता

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  5. क्या बात है ....ये लेखक जी टिपण्णी क्यों हटा रहे हैं बार बार ।......
    और कैसी हैं अब आप ?जल्दी ठीक होईये

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  6. क्या बात है.. बुखार में ख़याल भी गरमा रहे हैं गज़ब :)
    बहुत ही प्यारी रचना.

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  7. अजीब सी है
    ये रिश्तों की
    गहराती दलदल
    आओ डूब कर
    कहीं दूर मिल जायें .............बेहतरीन .....शीघ्र स्वस्थ हो की कामना

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  8. मेरे
    सपनों की
    बालकनी में
    आवाज़ देते
    तुम ……

    तुम्हारी
    यादों की
    बारिश में
    भीगती
    मैं …….बहुत खुबसूरत कल्पना !
    Latest post हे निराकार!
    latest post कानून और दंड

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  9. आज आपकी यह कविता पढ़कर वो गीत याद आगया दी..." दोनों किसी को नज़र नहीं आयें चल दरिया में डूब जाएँ" :)इसी को तो रिश्तों की गर्माहट कहते हैं बहुत ही सुंदर भाव अभिव्यक्ति...

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  10. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति ।

    मेरी नई रचना :- चलो अवध का धाम

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  11. देर से पढ़ रहा हूँ, आप स्वास्थ्यलाभ शीघ्र करें।

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  12. जल्दी ही स्वास्थ्य लाभ करें। ज्यादा न भीगें बारिश में।
    सुंदर प्रस्तुति।

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