किसी की राह देखी
कही नजरें बिछायीं
क्यों कहीं राह में देख
कैसे हैं नजरें बचाईं
सुगंध और सुमन से
दोनों है सजे संवरे
एक जीवंत उमंग
दूजी निर्जीव तरंग
एक पिया संग चली
दूजी पिया से है जली
एक नया घर बसाने चली
दूजी बसा घर छोड़ चली
एक नये जहाँ में चली
दूजी इस जहाँ से चली
दोनों ही साए एक से
कैसे कहूँ कौन सा रंग
सजाये शगुन सा
कौन कर जाए धूमिल
सब रंग .........
-निवेदिता
कही नजरें बिछायीं
क्यों कहीं राह में देख
कैसे हैं नजरें बचाईं
सुगंध और सुमन से
दोनों है सजे संवरे
एक जीवंत उमंग
दूजी निर्जीव तरंग
एक पिया संग चली
दूजी पिया से है जली
एक नया घर बसाने चली
दूजी बसा घर छोड़ चली
एक नये जहाँ में चली
दूजी इस जहाँ से चली
दोनों ही साए एक से
कैसे कहूँ कौन सा रंग
सजाये शगुन सा
कौन कर जाए धूमिल
सब रंग .........
-निवेदिता
इत्ती गंभीर बातें तो आप चुटकियों में कह जाती हो . शगुन अपशगुन हमारे मन की भ्रान्ति है बस. एक ही बात किसी के लिए शगुन तो किसी के लिए अपशगुन.
जवाब देंहटाएंवाह....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
सस्नेह
अनु
बेहद गहन अभिव्यक्ति निवेदिता जी
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंमन की राहें स्वस्थ रहे तो शगुन प्रतिपल।
जवाब देंहटाएंकैसे कहूँ कौन सा रंग
जवाब देंहटाएंसजाये शगुन सा
कौन कर जाए धूमिल
सब रंग .........
वाह बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
आज 10- 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... खुद की तलाश .ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
मन से मन और दिल से दिल मिले तो ही बात बनती हैं ..शगुन , अपशगुन तो एक मन का भरम है ..बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ सोचने को मजबूर करती रचना ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंदीवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
कैसी विचित्र स्थिति!
जवाब देंहटाएंएक जीवंत उमंग
जवाब देंहटाएंदूजी निर्जीव तरंग
एक पिया संग चली
दूजी पिया से है जली......... अत्यंत भावपूर्ण....