अमावस
क्यों डरा जाता है
ये अकेला सा एहसास
इसमें अंधियारा ही तो नहीं
कहीं रह जाते कुछ एहसास
आने वाली उजली किरणों के
पर हाँ ! जब तक ये रहता है
सब ढांप लेता कालिख पुती
अंधत्व की चादर में
उजले से लगते लम्हे भी
धुंधलाते कोहरे में छुपी
ख़ामोश गहराइयों में
गुम बेआवाज़ हो जाते हैं
हर रोज़ मायूस चाँद
अपनी रौशन चांदनी
बढ़ा असफल सा खोजता
निराश हो पूनम से
अमावस के चिर सफ़र पर
चल छोड़ जाता है फिर
एक अन्धेरा एहसास
अमावस का ...........
-निवेदिता
निराश हो पूनम से
जवाब देंहटाएंअमावस के चिर सफ़र पर
चल छोड़ जाता है फिर
एक अन्धेरा एहसास
अमावस का,,,,,,,अहसासों की सुंदर प्रस्तुति,,,,
recent post...: अपने साये में जीने दो.
अंधेरा भी कुछ कहता है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता।
सादर
तमसो माँ ज्योतिर्गमय. अमावस की रात चाहे जितनी भी तमिस्रमय हो, सुबह की किरण को आने से नहीं रोक सकती.
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति अँधेरे की चादर को चीर कर रौशनी आती है और सब गम हर लेती है जरूरत है विशवास की खिड़की खुली रखना
जवाब देंहटाएंgahra andhera roshani ki pahli kiran ke samaan hota hain
जवाब देंहटाएंnice poem
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
क्या बात है....सुन्दर कविता है निवेदिता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रविष्टि वाह!
जवाब देंहटाएंइसे भी अवश्य देखें!
चर्चामंच पर एक पोस्ट का लिंक देने से कुछ फ़िरकापरस्तों नें समस्त चर्चाकारों के ऊपर मूढमति और न जाने क्या क्या होने का आरोप लगाकर वह लिंक हटवा दिया तथा अतिनिम्न कोटि की टिप्पणियों से नवाज़ा आदरणीय ग़ाफ़िल जी को हम उस आलेख का लिंक तथा उन तथाकथित हिन्दूवादियों की टिप्पणयों यहां पोस्ट कर रहे हैं आप सभी से अपेक्षा है कि उस लिंक को भी पढ़ें जिस पर इन्होंने विवाद पैदा किया और इनकी प्रतिक्रियायें भी पढ़ें फिर अपनी ईमानदार प्रतिक्रिया दें कि कौन क्या है? सादर -रविकर
राणा तू इसकी रक्षा कर // यह सिंहासन अभिमानी है
जवाब देंहटाएंकल 19/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत ...:)
हटाएंअच्छी रचना........
जवाब देंहटाएंचाँद दिनों दिन बढ़ता रहता, और पूर्णिमा आ जाती तब।
जवाब देंहटाएंaaj aakhri hi hai andheri ye ehsas karwa jata h amavas ka chand..! Kubsurt aur manovegyanik chitran.
जवाब देंहटाएंये तो गोल चक्कर है...अँधेरा उजाला आना जाना है....
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
अमावस से ज्यादा अमावस का एहसास सताता है मगर कोई इसे समझ नहीं पाता है। पूनम के आने का आश्वासन भर दे जाता है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन>>>>>>> poonam n hoti to ye amavas n hota---- हर रोज़ मायूस चाँद
जवाब देंहटाएंअपनी रौशन चांदनी
बढ़ा असफल सा खोजता
निराश हो पूनम से
अमावस के चिर सफ़र पर
चल छोड़ जाता है फिर
एक अन्धेरा एहसास
अमावस का ...........
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंहर रात की सुबहा ज़रूर होती है फिर चाहे वो अमावस की रात ही क्यूँ न हो मगर हाँ उसके बाद भी अंधेरा भी कभी-कभी बहुत कुछ कहता है। गहन भाव अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएं