कभी नन्हे-नन्हे लडखडाते क़दमों से तो कभी लम्बे स्थिर डग भरती ,ज़िन्दगी यूँ ही अपनी तरंग में अनजाने से भवितव्य की तरफ ,कभी राजसी तो कभी फ़कीरी अंदाज़ में बढती चली जाती है | लगता है कि हम ज़िन्दगी को एक सुविचारित और सुनियोजित रूप देने के प्रयास में सफल हो गये ,परन्तु तभी ज़िन्दगी सिर्फ हवा के एक हल्के झोंके की तरह लहरा कर अपनी ही राह हमें उड़ा ले जाती है | ये राह कभी हमारी मनचाही डगर से बेहतर लगती है ,तो कभी एक कराह भरती पगडंडी सी !
हर उठता कदम ज़िन्दगी के एक नये रूप से परिचित कराता है | ये कभी एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय की तरफ तो कभी एक स्थान से दूसरे स्थान की तरफ ,ऐसे ही नित नवीन अन्वेषण करता है | ऐसा परिवर्तित रूप सिर्फ स्थान ही नहीं रिश्तों के भी नये रूप दर्शाता है | कभी हम जिन रिश्तों को जीवन का सबसे बड़ा सच मानते हैं ,बदलता समय उन के बारे में सोच पाने की भी मोहलत नहीं देता है |
बदलता समय ज़िन्दगी को ऐसे खूबसूरत मोड़ पर ला देता है कि बस ज़िन्दगी के हर पल को जीने की चाहत उमड़ जाती है | हर आती-जाती साँसे ज़िन्दगी को संवारना ,अपना बनाना चाहती हैं | संजीवनी से भरे लम्हों पर फिर वही अनदेखी और अनजानी सी ज़िन्दगी अपनी शर्तें ले कर आ जाती है अपने ही रंग में रंगने के लिए | साँसों की डोर को थामने की जगह एक ही प्रबल वेगपूर्ण झटके से तोड़ जाती है !
आदरणीय "नीरज जी" की पंक्तियाँ याद आती हैं "कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे"....
कारवाँ निकला जा रहा है कि हम ही भीड़ भरे बाजारों को छोड़ते हुये बढ़े जा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंये ज़िन्दगी जैसे गंगा नदी जाने कहाँ से आए कहाँ चली जाए ...
जवाब देंहटाएंसबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी.......बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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यही तो जिन्दगी है , उम्रभर हिचकोले खाती ,लडखडाती ,संभलती ,उठती गिरती ....
जवाब देंहटाएंजिन्दगी को जीना कोई और बात है
जवाब देंहटाएंजिन्दगी में जीना कोई और बात है
जीते है आप भी हम भी जीने के लिए
जिन्दगी पर जीना कोई और बात है
क्या कहने, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति लाजवाब, तस्वीर आकर्षक है।
bahut badiya prastuti..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
जवाब देंहटाएंइसी का नाम जिंदगी है.....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
ज़िंदगी एक पहेली की तरह है या एक सागर की तरह जिसकी गहराई कभी नापी ही नहीं जा सकती, पता नहीं कभी कभी लगता है जैसे इसका न कोई आदि है, न अंत शायद इसी का नाम ज़िंदगी है सुनदार एवं विचारणीय प्रस्तुति
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