जब जाते-जाते रुक जाते हो
देखते हो गेट बंद कर
मेरा अन्दर जाना .......
मेरे कहीं जाने पर
ओझल हो जाने तक
मुझको देखते रह जाना .......
मेरी खामोशी पर
तलाशना औ बुला लाना
मेरी आवाज़ की खनक .......
मेरे चेहरे की शिकन
मिटाने अपने वजूद के
एहसासों की तपिश देना .......
उलझनों में घिर जाने पे
फैला देना नयी उम्मीदों का
नव सृजन का आसमान ........
तुमसे ही तो पल्लवित
और प्रमुदित रहता
मेरे मन का शिशु-भाव.....
तुमसे ही तो पल्लवित
और प्रमुदित रहता
मेरे मन का शिशु-भाव.....
शायद नहीं निस्संदेह
तुम ही तो हो मेरी
पूरी कविता लगातार पढते रहने को बाध्य करती है.
जवाब देंहटाएंएक दूसरे को इसी तरह समझना ही तो प्यार है.
सादर
सुख देती कविता।
जवाब देंहटाएंअक्सर ऐसा होता है जीवन में , किसी का यूँ अपनेपन से मात्र देखना भर भी मन के शिशु भाव को जीवित रखता है। प्रफुल्लित और उल्लासयुक्त रखता है।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंbahut hi pyaari abhivyakti
जवाब देंहटाएंछोटी छोटी बातें,
जवाब देंहटाएंजीवन स्वस्थ बिता दें।
sunder ehsaas jeevan mahka dete hain ....!!
जवाब देंहटाएंsakaratmak lekhan ke liye badhai ....
bahut khoob likha aapane
जवाब देंहटाएंreally nice poem
check out mine
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
बहुत ही प्यारी सी कविता ... अच्छा लगा पढना....
जवाब देंहटाएंबहुत गहराई से आपने बहुत भावपूर्ण पंक्तियाँ लिखी हैं
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट
मिलिए हमारी गली के गधे से
बहुत कोमल अहसास ....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbadee pyarbharee abhivykti..........
जवाब देंहटाएंehsaas ko samete badhiya rachna........rachnakaar bahut badhiya..........aur prerna to aur badhiya...........
जवाब देंहटाएं"lucky guy Amitjee"
बहुत ही प्यारी कविता ***सुन्दर अभिव्यक्ति***
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..अच्छा लगता है
जवाब देंहटाएंफैला देना नयी उम्मीदों का
नव सृजन का आसमान ........
उलझनों में घिर जाने पे
जवाब देंहटाएंफैला देना नयी उम्मीदों का
नव सृजन का आसमान
तुमसे ही तो पल्लवित
और प्रमुदित रहता
मेरे मन का शिशु-भाव
bhut khub 2 bhut khub2 bhut khub2
मेरे कहीं जाने पर
जवाब देंहटाएंओझल हो जाने तक
मुझको देखते रह जाना
prempurn lamhe ko darshati panktiya,
behad sundar aur bhawpurn rachna.
छू गयी ये पंक्तियाँ...
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