"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
मंगलवार, 28 सितंबर 2010
हमारे बेटे का जन्मदिन
सागर के किनारे तक .........
तुम्हे पहुंचाने का ...
उदार उदय्म ही मेरा हो
फ़िर वहां जो लहर हो तारा हो,
सोनतरी हो अरुण सवेरा हो ओ मेरे वर्य
तुम्हारा हो , तुम्हारा ,तुम्हारा हो!
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