झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

रविवार, 2 फ़रवरी 2025

शारदे वन्दना

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अंतरमन शुचि सुंदर हो मॉं राग विकार से रिक्त हो जाऊँ! रच जाऊँ श्रध्दा से माँ मैं, साँस साँस पूजन हो जाये शब्द करे यूँ नर्तन मन में मन वृंदावन...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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