झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

बुधवार, 18 सितंबर 2024

लघुकथा : मोक्ष

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 लघुकथा : मोक्ष दोस्तों के झुण्ड में अनिकेत गुमसुम सा बैठा था ।अपने मे ही खोया सा, जैसे खुद से ही बातें कर रहा हो। उसका मानसिक द्वंद भी यही ...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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