झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

हाइकु

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मीठी है छूरी कहते मठाधीश बनते ईश। विश्वास पाश छलिया है प्रकृति करती नाश। सदा हँसता कसौटी पे कसता दम घुटता। सुरसा आस हो रहा सर्वनाश अबूझ प्या...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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