झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

बुधवार, 31 मार्च 2021

टेढ़ा अंगना ....

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 प्रिय - प्रियतमा बैठ रहे बतियाय कारण - निवारण समझ न पाय ग्यारह नम्बर से थे फिटम फैट कब - कैसे बन गए एट्टी एट घर में भरा सब सरंजाम भू...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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