झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

मंगलवार, 29 सितंबर 2020

लघुकथा : कर्मफल

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 लघुकथा : कर्मफल अस्पताल के अपने बेड पर वह पीड़ा से छटपटाते हुए कराह रहा था ,परन्तु उसके आसपास से सब अपने ही दर्द और अपनों की तकलीफों से त्रस...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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