झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

शनिवार, 30 नवंबर 2019

लघुकथा : कली

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लघुकथा : कली उपवन में बहुत सारे रंग - बिरंगे फूल खिले थे । वहाँ घूमते हुए बच्चे- बड़े सभी उनको देख कर माली की सराहना कर रहे थे कि उसने कित...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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