झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

जो भी है बस यही एक पल है ....

›
जो भी है बस यही इक पल है .... छोटे छोटे पल ,पलक से झरते रहे छोटी छोटी बातें ,बड़ी बनती गयीं निगाहें व्यतीत सी ,छलकती रहीं यादें अतीत स...
4 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
निवेदिता श्रीवास्तव
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.