झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

लघुकथा : मुआवजा

›
लघुकथा : मुआवजा "काकी एक मिनट के लिये बाहर आ जाओ न । देखो ये सब अधिकारी तुमसे मिलने के लिये कब से बैठे हैं । अब तो देखो न मंत्री जी...
2 टिप्‍पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
निवेदिता श्रीवास्तव
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.