झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

अनकहे दो द्वार .....

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क्यों ..... सुनो ....... ये दो शब्द नहीं ये सात जन्मों के साथ के अनकहे दो द्वार हैं मेरी क्यों कोई सवाल नही  तुम्हारी सुनो कोई ज...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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