झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

रविवार, 26 अगस्त 2018

एक वसीयत मेरी भी ....... निवेदिता

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एक सपना मेरा भी  ...... समुंदर के किनारे पर खूब सारी सीपियाँ बटोरूँ समंदर की लहरों की फुहार  चेहरे पर ओस की बूंदों सा छुएं पहा...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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