झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

शनिवार, 3 जून 2017

अनदेखा करना सीख लिया है ..........

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चाहती थी  एक कदम बढ़ाना  और अनदेखा कर देना  उन मुश्किलों को  जिन्होंने थाम रखी है  रफ्तार मेरी हर बार थम गये हैं कदम उन्हीं अवरोधों पर आज .....
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निवेदिता श्रीवास्तव
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