झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

बुधवार, 10 अगस्त 2016

ये छतरी है मेरे दुलार की .....

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मुश्किलों की बरसात में  बेवजह किसी तकरार में याद में ये बसाये रखना ये छतरी है मेरे दुलार की मुस्करा कर आ जाना ... निवेदिता...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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