झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

एक सुराख ......

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बेसबब यूँ ही सी एक चाहत ने सरगोशी की आज अपनी सारी उलझनों या कह लूँ दुश्वारियों को समेट कर सहेज लेती हूँ अपने ही पोशाक की दराजों (जेबो...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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