झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

रविवार, 18 अक्टूबर 2015

हौसला तुम्हारा

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मेरी एक छोटी सी चाहत , बस एक नन्हा सा कण जुगनू से टिमटिमाते उजाले का , हौसला तुम्हारा  उस एक किरण सी चमक लाने को दुनिया जल...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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