झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

रविवार, 28 अप्रैल 2013

उसने कहा ........ ( 2 )

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उसने कहा  आँखें तुम्हारी  सीप सी  और मैंने  मोती बरसा दिए ! उसने कहा  आँखों में तुम्हारी  आँसू क्यों .... आँखों से  लुढ़के ...
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