झरोख़ा

"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।

बुधवार, 29 सितंबर 2010

WORDS

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Words......... How miserable That we should only communicate through them ! But remember a few of my past actions..... If you keep the ...
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निवेदिता श्रीवास्तव
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