शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

लाडलों का प्यार .....




चाहतें भी कैसी कैसी 
साँसे लेती रहती हैं 
बताओ न अब 
बाँटना चाहती हैं 
अपने जीवन की 
अनबोली सी वजह
अपने लाडलों का प्यार .....
चाहतों में हलचल मची
ये बाँटना तो कभी नहीं है
चाहत है मिले लाडलों को
दुगना प्यार अपरम्पार

हमारा भी और ........ निवेदिता

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

तुम्हारा नाम लिख दिया ........



तुम्हारी पलकों तले 
कुछ सरगोशी सी हुई 
मोहब्बत  ...... 
धड़कनों ने भी तो 
भर ली हैं 
बस चन्द साँसे 
और हौले से पूछा 
ये क्या होती है 
और मैंने 
अपनी अलकों से 
बस  ..... 
तुम्हारा नाम लिख दिया  ........ निवेदिता 

बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

क्यों ....... सुनो .......



क्यों  ....... सुनो  ....... 
ये दो शब्द नहीं 
ये सात जन्मों के साथ के 
अनकहे दो द्वार हैं
मेरी क्यों कोई सवाल नही 
तुम्हारी सुनो कोई जवाब नही 
रूठने मनाने जैसा साथ हो 
बताओ न क्या यही साध है  ..... 

चौथ का चाँद पूजती हूँ 
पूर्णमासी का चाँद नही 
जानते हो क्यों  ..... 
ये अधूरापन भी तो 
सज जाता है चांदनी के श्रृंगार से 
मेरी क्यों भी तो पूरित होती है 
तुम्हारे सुनो की पुकार से  .... 

जानती हूँ  .... ये सफर जीवन का 
इतना सहज भी नही  .....  
इसीलिए तो साथ हमारा प्यार है 
कहीं किसी राह में लगी ठोकर 
लड़खड़ाते कदम भी संभल जाएंगे 
थामे एक दूजे के हाथ 
शून्य से क्षितिज पर आ ही जाएंगे  ..... निवेदिता