मेरी हँसी के
अवगुंठन में
छुपी मेरी सिसकी
कैसे देख लेते हो
मेरे तीखे बोलों में
छिपा मेरे मन के
दुरूह कोनों में बसा
तुम्हारे लिये मेरा प्यार
समझने के लिये
अब समझ भी लो
कहने के लिये
क्या ये कहना होगा
तुम बस जाओ
मेरे ख्वाबों में
मेरे दिल की
धड़कन की तरह .... निवेदिता