tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post7984534536983244490..comments2024-01-07T14:43:29.542+05:30Comments on झरोख़ा: सूर्य पुत्र या सूत पुत्र "कर्ण"निवेदिता श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-32089607276429861712011-06-01T23:16:58.221+05:302011-06-01T23:16:58.221+05:30जब इंद्र ने मांग कवच-कुंडल
अर्जुन के प्राणों को स...जब इंद्र ने मांग कवच-कुंडल <br />अर्जुन के प्राणों को सुरक्षित किया <br />तब भी क्यों न जाग पाया <br />तुम में पुत्र प्रेम ..............<br /><br /><br />आपने इस कविता में पौराणिक पात्र के माध्यम से सांसारिक रिश्तों के यथार्थ का सटीक चित्रण किया है. आपके ब्लॉग पर इसी अंदाज़ की और भी रचनाएं मौजूद हैं. ऐसी रचनाएं ज्यादा असरदार और दीर्घायु होती हैं. बधाई स्वीकार करें. <br /><br />---देवेंद्र गौतमdevendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-73930541788257968902011-06-01T19:23:39.692+05:302011-06-01T19:23:39.692+05:30नियति का खेल कहें
या भाग्य की विडम्बना
लेकिन सच ...नियति का खेल कहें <br />या भाग्य की विडम्बना <br />लेकिन सच यही रहा.... <br />काव्य <br />प्रभावशाली बन पडा है .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-68422503158864368032011-06-01T10:53:13.713+05:302011-06-01T10:53:13.713+05:30सूर्य पुत्र होकर भी सूत पुत्र कहलाया ...
सूत पुत्र...सूर्य पुत्र होकर भी सूत पुत्र कहलाया ...<br />सूत पुत्र होना भी तो कोई अपराध नहीं था , इस बहाने कर्ण ने सूत पुत्र होने के दर्द को तो जिया ..<br />बेशक अन्याय उसके साथ हुआ हर पल ..उसने मित्र धर्म बखूबी निभाया ...<br />मगर क्या द्रौपदी के अपमान के लिए उसे माफ़ किया जा सकता था <br /><br />कर्ण के दर्द को अच्छी तरह प्रस्तुत किया !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-25852986173405079002011-06-01T07:31:47.167+05:302011-06-01T07:31:47.167+05:30कर्ण कि मनोभावों को, मन की वेदना को समझने का
अनूठ...कर्ण कि मनोभावों को, मन की वेदना को समझने का <br />अनूठा प्रयत्न. सुंदर रचनाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-17379584865505002482011-06-01T05:10:08.073+05:302011-06-01T05:10:08.073+05:30पर सूर्य पुत्र कहलाया हूँ ,तब
तुम्हे कुछ तो कहना ...पर सूर्य पुत्र कहलाया हूँ ,तब <br />तुम्हे कुछ तो कहना ही होगा ...<br />जब इंद्र ने मांग कवच-कुंडल <br />अर्जुन के प्राणों को सुरक्षित किया <br />तब भी क्यों न जाग पाया <br />तुम में पुत्र प्रेम ..............<br /><br />कर्ण के मन की वेदना को कितने प्रभावी शब्दों में उकेरा .....बेहतरीन रचना डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-19380934715494605802011-05-31T22:27:26.500+05:302011-05-31T22:27:26.500+05:30दानवीर कर्ण के ह्रदय की पीड़ा को आपने भावनाओं के सा...दानवीर कर्ण के ह्रदय की पीड़ा को आपने भावनाओं के साथ -साथ शब्द भी दिए . कविता वाकई प्रभावित करती है.Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-78228475603706443762011-05-31T13:48:10.592+05:302011-05-31T13:48:10.592+05:30dard se bhari...sunder kavita.dard se bhari...sunder kavita.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-67706823505804040412011-05-31T13:17:19.508+05:302011-05-31T13:17:19.508+05:30कर्ण के दर्द को उभार दिया…………उम्दा प्रस्तुति।कर्ण के दर्द को उभार दिया…………उम्दा प्रस्तुति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-56767411637546796912011-05-31T13:07:02.937+05:302011-05-31T13:07:02.937+05:30सूर्य पुत्र हो कर भी सूत पुत्र माना गया
जीवन भर छल...सूर्य पुत्र हो कर भी सूत पुत्र माना गया<br />जीवन भर छला ही गया .................<br />कभी माँ ,कभी पिता और कभी<br />अनुजों का ,अरे हाँ !<br />अनुज वधू का भी दोषी बना<br />ये शायद थी मेरे अंतस की ही आँच<br /><br />बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-30379187892879023412011-05-31T08:00:06.062+05:302011-05-31T08:00:06.062+05:30कूटनीति और जातिप्रथा तभी से हमारे समाज में व्याप्त...कूटनीति और जातिप्रथा तभी से हमारे समाज में व्याप्त था ... सुन्दर कविता !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-11083863325757162882011-05-31T05:51:12.488+05:302011-05-31T05:51:12.488+05:30मित्रों उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद !!!
दी,चर्चा-म...मित्रों उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद !!!<br />दी,चर्चा-मंच मेंसम्मिलित करने के लिये आभार !!!निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-35491190832171758832011-05-30T21:47:17.596+05:302011-05-30T21:47:17.596+05:30कर्ण के प्रश्नो का उत्तर कोई नहीं दे पाया।कर्ण के प्रश्नो का उत्तर कोई नहीं दे पाया।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-59215039607755630972011-05-30T16:21:59.496+05:302011-05-30T16:21:59.496+05:30सोचने को मजबूर करती है आपकी रचना .. पर ये तो नियति...सोचने को मजबूर करती है आपकी रचना .. पर ये तो नियति का खेल था ... इसमें किसी का भी दोष कहा था ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-81020583453114080712011-05-29T23:06:33.669+05:302011-05-29T23:06:33.669+05:30मैं सूर्यपुत्र कुछ कहना चाहता हूँ
मैंने तो कभी न...मैं सूर्यपुत्र कुछ कहना चाहता हूँ <br />मैंने तो कभी न पाली किसी के प्रति <br />अपने मन में कोई दुर्भावना ,फिर -<br />मुझे मिली किस अपराध की सजा !<br />सूर्य पुत्र हो कर भी सूत पुत्र माना गया <br />जीवन भर छला ही गया .................<br /><br />कर्ण कि मनोभावों को समझाने कि कोशिष. अनूठा प्रयत्न. सुंदर रचना.<br /><br />शुभकामनायें.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-75842581737882195172011-05-29T18:07:55.828+05:302011-05-29T18:07:55.828+05:30kyonki her vidambnaaon se gujarker bhi rahna tha t...kyonki her vidambnaaon se gujarker bhi rahna tha tumhen ajayरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-19230606885051487392011-05-29T15:48:00.797+05:302011-05-29T15:48:00.797+05:30बहुत सुंदर..कर्ण की मनःस्थिती का विवेचन..लाजवाब।बहुत सुंदर..कर्ण की मनःस्थिती का विवेचन..लाजवाब।Er. सत्यम शिवमhttps://www.blogger.com/profile/07411604332624090694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-60504014271449331652011-05-29T14:38:37.052+05:302011-05-29T14:38:37.052+05:30सूर्य पुत्र हो कर भी सूत पुत्र माना गया
जीवन भर छ...सूर्य पुत्र हो कर भी सूत पुत्र माना गया <br />जीवन भर छला ही गया .................<br />कभी माँ ,कभी पिता और कभी <br />अनुजों का ,अरे हाँ ! <br />अनुज वधू का भी दोषी बना <br />ये शायद थी मेरे अंतस की ही आँच<br /><br />ज़बरदस्त भावों से ओत-प्रोत.प्रभावी सम्प्रेषण . बहुत बढ़िया.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-81539918278134618322011-05-29T13:25:50.223+05:302011-05-29T13:25:50.223+05:30निवेदिता जी ,
कर्ण पर बहुत अच्छी प्रस्तुति दी ह...निवेदिता जी , <br /><br />कर्ण पर बहुत अच्छी प्रस्तुति दी है ... कर्ण के साथ हर पल अन्याय हुआ है ... सरल शब्दों में आपने उसे अभिव्यक्त किया हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-49754178468544152092011-05-29T11:21:18.755+05:302011-05-29T11:21:18.755+05:30लाज़वाब प्रस्तुति ....लाज़वाब प्रस्तुति ....babanpandeyhttps://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-47656082120974449272011-05-29T10:50:22.692+05:302011-05-29T10:50:22.692+05:30महिला पात्रों के पश्चात अब कर्ण प्रस्तुत है, आपके ...महिला पात्रों के पश्चात अब कर्ण प्रस्तुत है, आपके द्वारा दिये शाब्दिक कवच कुण्डलों के साथ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-45081006161716033112011-05-29T10:41:30.123+05:302011-05-29T10:41:30.123+05:30bahut khoob ...sach main har line shandar hainbahut khoob ...sach main har line shandar hainAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-81414580060113298272011-05-29T10:24:26.970+05:302011-05-29T10:24:26.970+05:30पर सूर्य पुत्र कहलाया हूँ ,तब
तुम्हे कुछ तो कहना ...पर सूर्य पुत्र कहलाया हूँ ,तब <br />तुम्हे कुछ तो कहना ही होगा ...<br />जब इंद्र ने मांग कवच-कुंडल <br />अर्जुन के प्राणों को सुरक्षित किया <br />तब भी क्यों न जाग पाया <br />तुम में पुत्र प्रेम ..............<br /><br />शुरू से अंत तक कविता पाठक को बांधे रखती है.<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-49088017779817442982011-05-29T09:58:23.909+05:302011-05-29T09:58:23.909+05:30निवेदिता जी, सरल शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आ...निवेदिता जी, सरल शब्दों में बहुत गहरी बात कह दी आपने।<br />---------<br /><b><a href="http://bm.samwaad.com/" rel="nofollow">गुडिया रानी हुई सयानी..</a></b><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com